जो मेरा है प्यार, मुझे दो !
रहने को संसार, मुझे दो !
माँग रही है बेटी तुमसे ,
बस इतना अधिकार, मुझे दो !
रहने को संसार, मुझे दो !
माँग रही है बेटी तुमसे ,
बस इतना अधिकार, मुझे दो !
पैरों में पायल की झुनझुन,
अधरों पर गीतों की गुनगुन,
जिससे जीवन गीत मधुर हो,
वो वीणा झंकार, मुझे दो
माँग रही है बेटी तुमसे,
बस इतना अधिकार, मुझे दो !
अधरों पर गीतों की गुनगुन,
जिससे जीवन गीत मधुर हो,
वो वीणा झंकार, मुझे दो
माँग रही है बेटी तुमसे,
बस इतना अधिकार, मुझे दो !
लालच नहीं खिलोने का दो,
हार न कोई सोने का दो,
कब माँगा कुछ मम्मी,पापा
बाहों का गलहार, मुझे दो !
माँग रही है बेटी तुमसे,
बस इतना अधिकार, मुझे दो !
हार न कोई सोने का दो,
कब माँगा कुछ मम्मी,पापा
बाहों का गलहार, मुझे दो !
माँग रही है बेटी तुमसे,
बस इतना अधिकार, मुझे दो !
कब माँगा है धरती आँगन
मिला मुझे विश्वास मेरा धन
जीने का हक माँग रही हूँ
जिसकी हूँ हकदार, मुझे दो !
माँग रही है बेटी तुमसे,
बस इतना अधिकार, मुझे दो !
मिला मुझे विश्वास मेरा धन
जीने का हक माँग रही हूँ
जिसकी हूँ हकदार, मुझे दो !
माँग रही है बेटी तुमसे,
बस इतना अधिकार, मुझे दो !
कोमल तन से मन से लडना
लडना है जीवन से लडना
लड लूँगी सब युद्ध अकेले,
बस पापा पुचकार मुझे दो !
माँग रही है बेटी तुमसे,
बस इतना अधिकार, मुझे दो !
लडना है जीवन से लडना
लड लूँगी सब युद्ध अकेले,
बस पापा पुचकार मुझे दो !
माँग रही है बेटी तुमसे,
बस इतना अधिकार, मुझे दो !
-डा०अजय जनमेजय
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