Wednesday, December 1, 2010

बस इतना अधिकार, मुझे दो !

जो मेरा है प्यार, मुझे दो !
रहने को संसार,   मुझे दो  !
माँग   रही   है   बेटी   तुमसे ,
बस इतना अधिकार, मुझे दो  !

पैरों में पायल की झुनझुन,
अधरों पर गीतों की गुनगुन,
जिससे जीवन गीत मधुर हो,
वो वीणा झंकार,  मुझे दो
माँग रही है बेटी   तुमसे,
बस इतना अधिकार, मुझे दो  !

लालच नहीं खिलोने का दो,
हार न कोई सोने  का दो,
कब माँगा कुछ मम्मी,पापा
बाहों का गलहार, मुझे दो  !
माँग रही है बेटी तुमसे,
बस इतना अधिकार, मुझे दो  !

कब माँगा है धरती आँगन
मिला मुझे विश्वास मेरा धन
जीने का हक माँग रही हूँ
जिसकी हूँ हकदार, मुझे दो  !
माँग रही है बेटी तुमसे,
बस इतना अधिकार, मुझे दो  !

कोमल तन से मन से लडना
लडना है जीवन से लडना
लड लूँगी सब युद्ध अकेले,
बस पापा पुचकार मुझे दो  !
माँग रही है  बेटी तुमसे,
बस इतना अधिकार, मुझे दो  !

-डा०अजय जनमेजय

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