Wednesday, December 1, 2010

जन्म लेना चाहती हूं, मैं तुम्हारी गोद से माँ

जन्म लेना चाहती  हूं,  मैं तुम्हारी गोद से माँ
है निवेदन बस यही,मुझको सहज स्वीकार करना


क्या   कभी   लोरी सुनुंगी,  गोद में सो पाउंगी मैं
या किसी अंधी गुफ़ा सी,कोख में खो जाउंगी मैं
जन्म देना मां मुझे तुम,अब नहीं इन्कार करना
मैं कदम कोई तेरे अंगना धरूंगी क्या पता है
या धरा छूने से पहले   ही मरूंगी क्या पता  है
म्रत्यु या जीवन मिलेगा,कश्मकश से पार करना


ज्ञिदंगी मेरी अभी   से मॉ   दोधारी   धार   पर है
इक कली जो है,पराया धन तुम्हारे द्वार पर है
मैं खिलूं महकूं तुम्हारे द्वार अंगीकार करना


अंश तेरा वंश तेरा,मैं   तुम्हारा   रूप  हूं माँ
गीत गाती गुनगुनाती,गुनगुनी सी धूप हूं माँ
आपका प्रतिविम्ब हूं,निज बिम्ब को स्वीकार करना
जीन पापा के करे जब तय तो माँ का दोष क्या है
फ़िर यहां बेटी ओ माँ पर ही सभी का दोष क्या है
जंग ये लम्बी चलेगी,खुद को माँ तैय्यार करना

-डा० अजय जनमेजय

मुझे जन्म दो,मुझे जन्म दो !

हुमक हुमक गाने दो मुझको
यूँ मत मर जाने दो मुझको
जीवन     भर आभार करूँगी
माँ    मैं तुमसे प्यार करूँगी
मुझे जन्म दो, मुझे जन्म दो
मैं    भी तो हूँ अंश तुम्हारा
मैं    भी तो हूँ वंश  तुम्हारा
पापा को  समझा कर देखो
सारी बात    बता कर देखो
बिगडा   है अनुपात बताओ
क्या    होंगे हालात  बताओ
फ़िर भी अगर न पापा माने
रोऊँगी    मनुहार    करूँगी
जीवन भर आभार करूँगी
माँ मैं तुमसे प्यार करूँगी
        मुझे जन्म दो, मुझे जन्म दो !

लक्ष्मीबाई    मदर     टेरेसा
क्या   कोई बन पाया वैसा
मत कहना इक धाय है पन्ना
ममता का अध्याय है पन्ना
ये    बातें  बतलाओ  अम्मा
दादी को   समझाओ अम्मा
मैं   नन्हीं     पोती दादी  के,
सब गुण   अंगीकार करूँगी
जीवन   भर आभार करूँगी
माँ मैं तुमसे प्यार करूँगी
        मुझे जन्म दो, मुझे जन्म दो !
 
अन्तरिक्ष में जाकर के माँ
रोशन     तेरा नाम करूँगी
जो-जो   बेटे कर सकते हैं
हर वो अच्छा काम करूँगी
नाम से    तेरे जानी जाऊँ
ये मैं      बारम्बार करूँगी
जीवन भर आभार करूँगी
माँ मैं तुमसे प्यार करूँगी
        मुझे जन्म दो, मुझे जन्म दो !

पापा का जो स्वप्न अधूरा
उसको     पूरा कर डालूँगी
उनको दूँगी गीत खुशी के
पापा के दु:ख मैं गा लूँगी
अपने प्यारे पापा   का मैं
हर सपना साकार करूँगी
जीवन भर आभार करूँगी
माँ मैं तुमसे प्यार करूँगी
        मुझे जन्म दो, मुझे जन्म दो !
-डा० अजय जनमेजय

बस इतना अधिकार, मुझे दो !

जो मेरा है प्यार, मुझे दो !
रहने को संसार,   मुझे दो  !
माँग   रही   है   बेटी   तुमसे ,
बस इतना अधिकार, मुझे दो  !

पैरों में पायल की झुनझुन,
अधरों पर गीतों की गुनगुन,
जिससे जीवन गीत मधुर हो,
वो वीणा झंकार,  मुझे दो
माँग रही है बेटी   तुमसे,
बस इतना अधिकार, मुझे दो  !

लालच नहीं खिलोने का दो,
हार न कोई सोने  का दो,
कब माँगा कुछ मम्मी,पापा
बाहों का गलहार, मुझे दो  !
माँग रही है बेटी तुमसे,
बस इतना अधिकार, मुझे दो  !

कब माँगा है धरती आँगन
मिला मुझे विश्वास मेरा धन
जीने का हक माँग रही हूँ
जिसकी हूँ हकदार, मुझे दो  !
माँग रही है बेटी तुमसे,
बस इतना अधिकार, मुझे दो  !

कोमल तन से मन से लडना
लडना है जीवन से लडना
लड लूँगी सब युद्ध अकेले,
बस पापा पुचकार मुझे दो  !
माँग रही है  बेटी तुमसे,
बस इतना अधिकार, मुझे दो  !

-डा०अजय जनमेजय