क्या कभी लोरी सुनुंगी, गोद में सो पाउंगी मैं
या किसी अंधी गुफ़ा सी,कोख में खो जाउंगी मैं
जन्म देना मां मुझे तुम,अब नहीं इन्कार करना
मैं कदम कोई तेरे अंगना धरूंगी क्या पता है
या धरा छूने से पहले ही मरूंगी क्या पता है
म्रत्यु या जीवन मिलेगा,कश्मकश से पार करना
या धरा छूने से पहले ही मरूंगी क्या पता है
म्रत्यु या जीवन मिलेगा,कश्मकश से पार करना
ज्ञिदंगी मेरी अभी से मॉ दोधारी धार पर है
इक कली जो है,पराया धन तुम्हारे द्वार पर है
मैं खिलूं महकूं तुम्हारे द्वार अंगीकार करना
अंश तेरा वंश तेरा,मैं तुम्हारा रूप हूं माँ
गीत गाती गुनगुनाती,गुनगुनी सी धूप हूं माँ
आपका प्रतिविम्ब हूं,निज बिम्ब को स्वीकार करना
जीन पापा के करे जब तय तो माँ का दोष क्या है
फ़िर यहां बेटी ओ माँ पर ही सभी का दोष क्या है
जंग ये लम्बी चलेगी,खुद को माँ तैय्यार करना
फ़िर यहां बेटी ओ माँ पर ही सभी का दोष क्या है
जंग ये लम्बी चलेगी,खुद को माँ तैय्यार करना
-डा० अजय जनमेजय