Tuesday, December 25, 2012

आज का बेटियों का मुक्तक |
२६-१२-२०१२

बेटियाँ है ढोल   के  इक थाप जैसी |

हैं भजन  के  साथ  वो आलाप जैसी |
आ गए  जबसे  दहेजी  भेडिये कुछ |
बेटियाँ क्यों हो गयीं अभिशाप जैसी |
डॉ - अजय जनमेजय 

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