आज का बेटियों का मुक्तक |
२६-१२-२०१२
बेटियाँ है ढोल के इक थाप जैसी |
हैं भजन के साथ वो आलाप जैसी |
२६-१२-२०१२
बेटियाँ है ढोल के इक थाप जैसी |
हैं भजन के साथ वो आलाप जैसी |
आ गए जबसे दहेजी भेडिये कुछ |
बेटियाँ क्यों हो गयीं अभिशाप जैसी |
डॉ - अजय जनमेजय
बेटियाँ क्यों हो गयीं अभिशाप जैसी |
डॉ - अजय जनमेजय
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