Tuesday, January 1, 2013

आज का बेटियों का मुक्तक =====
०१-०१-२०१३
बेटियां  झोंका  हवा  का  एक   शीतल |
बेटियां माँ के लगा  आँखों  में  काजल |
आज हम उनको बचालें  फिर तो बेशक |
बेटियां ही कल बनेंगी   माँ  का आँचल ||

डॉ अजय जनमेजय 

Saturday, December 29, 2012

आज का बेटियों का मुक्तक ==
३०-१२-२०१२
एक कोमल लता आपकी बेटियां |
कब रहीं है सता आपकी बेटियां |
अंश ये आपकी वंश ये आपकी |
आपका हैं पता आपकी बेटियां ||

डॉ अजय जनमेजय  
 

Friday, December 28, 2012

आज का बेटियों का मुक्तक  =======
२८-१२-२०१२ 
बेटियां साधक सतत हैं  साधना की |
मूरती  हैं  शुद्ध  सच्ची  भावना  की |
पर  हुई  कैसे विखंडित सोचिये तो |
आ रही  है  बू  किसी दुर्भावना  की ||

डॉ अजय जनमेजय 
आज का बेटियों का मुक्तक 
२९-१२-२०१२ 
बेटियां आती हैं इक पहचान लेकर |
प्यार सबका पा रहीं सम्मान देकर |
आन पर या शान पर जो बात आए |
ये  बचातीं  हैं  घराने , जान  देकर ||

डॉ अजय जनमेजय 

Thursday, December 27, 2012

आज का बेटियों का मुक्तक 
२७-१२-२०१२ 

बेटियां गर हों तो सपने   पूर्ण होते |
बेटियां गर हों तो अपने   पूर्ण होते |
बेटियां माला हैं तुलसी की समझिये |
साथ इनके मन्त्र जपने  पूर्ण होते ||

डॉ -अजय जनमेजय 

Tuesday, December 25, 2012

आज का बेटियों का मुक्तक |
२६-१२-२०१२

बेटियाँ है ढोल   के  इक थाप जैसी |

हैं भजन  के  साथ  वो आलाप जैसी |
आ गए  जबसे  दहेजी  भेडिये कुछ |
बेटियाँ क्यों हो गयीं अभिशाप जैसी |
डॉ - अजय जनमेजय 

Wednesday, December 1, 2010

जन्म लेना चाहती हूं, मैं तुम्हारी गोद से माँ

जन्म लेना चाहती  हूं,  मैं तुम्हारी गोद से माँ
है निवेदन बस यही,मुझको सहज स्वीकार करना


क्या   कभी   लोरी सुनुंगी,  गोद में सो पाउंगी मैं
या किसी अंधी गुफ़ा सी,कोख में खो जाउंगी मैं
जन्म देना मां मुझे तुम,अब नहीं इन्कार करना
मैं कदम कोई तेरे अंगना धरूंगी क्या पता है
या धरा छूने से पहले   ही मरूंगी क्या पता  है
म्रत्यु या जीवन मिलेगा,कश्मकश से पार करना


ज्ञिदंगी मेरी अभी   से मॉ   दोधारी   धार   पर है
इक कली जो है,पराया धन तुम्हारे द्वार पर है
मैं खिलूं महकूं तुम्हारे द्वार अंगीकार करना


अंश तेरा वंश तेरा,मैं   तुम्हारा   रूप  हूं माँ
गीत गाती गुनगुनाती,गुनगुनी सी धूप हूं माँ
आपका प्रतिविम्ब हूं,निज बिम्ब को स्वीकार करना
जीन पापा के करे जब तय तो माँ का दोष क्या है
फ़िर यहां बेटी ओ माँ पर ही सभी का दोष क्या है
जंग ये लम्बी चलेगी,खुद को माँ तैय्यार करना

-डा० अजय जनमेजय